मंत्रालय की आग पर रहस्य बरकारा

(दीपक अग्रवाल)

मुंबई। दक्षिण मुंबई में स्थित महाराष्ट्र सरकार के मुख्यालय-मंत्रालय की चार मंजिलों में कल

भीषण आग लगने से दो लोगों की मृत्यु हो गई और सोलह जख्मी हो गए। पुलिस नियंत्रण कक्ष के

अनुसार मंत्रालय की छठी मंजिल से दो व्यक्तियों के पूरी तरह जले हुए शव बरामद किए गए। इन दोनों

मृतकों की पहचान उमेश कोटेकर और महेश घुगले के रूप में हुई है। दोनों बारामती के हैं।

कहा जा रहा है कि आग पर काबू पा लिया गया है, लेकिन अग्निशमन अधिकारियों ने बताया कि अभी यह

कार्रवाई दो दिन और चलेगी। इस बीच मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने इस घटना की जांच अपराध

शाखा से कराने के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि हम सीधे यूं ही किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकते।

सच्चाई का पता करने के लिए अपराध शाखा को जांच के आदेश दे दिये गये हैं।

उन्होंने कहा कि मंत्रालय में आज कामकाज होगा। राज्य के मंत्री वैकल्पिक कार्यालयों में काम करेंगे।

हालांकि आगंतुकों को प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। हमारी संवाददाता के अनुसार आग पर काबू पाने के

लिए २१ दमकल गाड़ियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। राहत सहायता के लिए नौसेना के हेलिकॉप्टरों

और आतंकवाद विरोधी इकाई-फोर्स-वन की भी मदद ली गई।

पुलिस के मुताबिक इमारत की छठी मंजिल पर दो लोगों के जले हुए शव बरामद हुए तथा मुख्यमंत्री

पृथ्वीराज चौहान के केबिन के बाहर तैनात दो सुरक्षाकर्मी अभी भी लापता हैं। सभी जख्मियों की हालत

स्थिर बताई जा रही है, सिवाय एक के जिसकी हालत नाजुक बनी हुई है। अग्निशमन दल के अधिकारियों

के मुताबिक आग को पूरी तरह काबू में लाया गया है पर कूलिंग ऑपरेशन में और दो दिन लग सकते हैं। इस

भीषण आग में इमारत की सातवीं मंजिल पर बने हुए कम्युनिकेशन सेंटर जिसके जरिये राज्य के सभी

जिला मुख्यालयों से संपर्क साधा जाता है, उसे भी भारी नुकसान पहुंचा है।

गुरुवार को दोपहर बाद मुंबई के मंत्रालय बिल्डिंग में लगी आग के कारणों के बारे में अभी यही जानकारी

दी जा रही है कि आग शार्ट सर्किट की वजह से लगी है लेकिन क्या मंत्रालय भवन में यह आग सचमुच

शार्ट सर्किट से लगी है या फिर इसे जानबूझकर लगाई गई है? सवाल इसलिए क्योंकि अगर यह आग

अपने आप लगी थी तो इसे तय मानकों पर समय रहते पूरा करने में प्रशासन नाकाम क्यों रहा? आखिर

क्या कारण है कि आग लगने के बाद भी मंत्रालय का सेफ्टी अलार्म नहीं बजा और बिना अलार्म के ही

करीब पांच हजार लोगों को तो बाहर निकाल लिया गया?

महाराष्ट्र सरकार के सचिवालय मंत्रालय के चौथे मंजिल पर लगी आग पर अब ऐसी ही आशंकाओं के

बादल मंडराने लगे हैं। सरकारी तौर पर यह बताया जा रहा है आग शार्ट सर्किट होने की वजह से लगी।

मुंबई में भले ही इन दिनों बारिश नहीं हो रही है लेकिन बुधवार को पिछले एक साल का सबसे कम तापमान

रिकार्ड किया गया था। गुरूवार को भी कमोबेश तापमान 31 डिग्री सेल्सियस के आस पास बना रहा था।

अगर मुंबई में गर्मी नियंत्रित है, मंत्रालय की अति सुरक्षित बिल्डिंग है तो फिर शार्ट सर्किट होने का

सवाल ही कहां उठता है? अगर हम मान भी लें कि शार्ट सर्किट हुआ तो फिर तीन मिनट के अंदर फायर

अलार्म क्यों नहीं बजा?

आग लगने के बाद भी आग पर तत्काल काबू पाने के प्रयास नहीं किये गये। मानों आग को बढ़ने देने की

कोई सोची समझी साजिश को अंजाम दिया जा रहा था। प्रशासन की ओर से तत्काल आग पर काबू पाने

की कोशिश न करने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि पानी की व्यवस्था नहीं थी जबकि जानकार बताते

हैं कि मंत्रालय में इतनी पक्की व्यवस्था रहती है कि छोटे मोटे हादसों पर तत्काल अपने स्तर पर काबू

पाया जा सकता है। लेकिन मंत्रालय में लगी आग को मानों बढ़ने दिया गया जो देर शाम तक जल रही थी।

इस आग में चौथा, पांचवां और छठा, और सातवीं मंजिल आग के हवाले हो गई। इन सभी मंजिलों पर

महत्वपूर्ण मंत्रालयतों के दफ्तर हैं और संबंधित मंत्री और बड़े अधिकारी इन्हीं मंत्रालयों में बैठते

हैं। चौथी मंजिल पर शहरी विकास विभाग है। इसी विभाग के पास आदर्श की फाइलें भी थीं। और मुंबई के

समृद्ध रियल एस्टेट से जुड़ी सभी नोटिंग लगी महत्वपूर्ण फाइलें भी इसी विभाग में थी। अब आग में

सबकुछ स्वाहा हो गया। आश्चर्य तो तब और बढ़ जाता है जब सातवीं मंजिल पर बना आपदा नियंत्रण

का दफ्तर भी इस आग के हवाले हो जाता है और अपने आपको बचा नहीं पाता है।

इस बाबत पूछे जाने पर शिवसेना के मुखपत्र सामना के कार्यकारी संपादक प्रेम शुक्ल का कहना है

कि ‘तीन साल पहले डीबी रियलिटी को मंत्रालय की मरम्मत और देखरेख का काम देने का प्रस्ताव

लेकर कांग्रेसी सरकार सामने आई थी। उस वक्त छगन भुजबल के विरोध के कारण डीबी रियलिटी

को मंत्रालय सौंपने से मना कर दिया गया था। लेकिन अब पुननिर्माण के नाम पर हो सकता है डीबी

रियलिटी को यह काम सौंप दिया जाए।‘ वे सवाल करते हैं कि आग लगी हो या फिर लगाई गई हो लेकिन

ऐसा लगता है कि इसे जानबूझकर बढ़ने दिया गया जो किसी साजिश की ओर संकेत करता है।

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